“आप परमेश्वर के साथ सबंध बनाकर अपने आप को सुरक्षित कर सकते हैं”
बाइबिल का इतिहास मनुष्य जाति का इतिहास हैं, और यह दुनिया के हर नर और नारी का इतिहास हैं ,जीवन में आशा और निराशा, हार या जीत, दुःख या सुख आता है। जब परमेश्वर में दस हुकम दिए तो मनुष्य उन का पालन न कर सका। उसने उन्हें अपने संतो, नबीओ और पुजारीओ के द्वारा चेतवानी दी। परन्तु उन्होंने उनकी भविष्यवाणिओ को गभीरता से नहीं लिया। नतीजा था गुलामी , पैसे की तंगी, देश से निष्कासन, अपने ही देश में विदेशिओ का राज्य क्रूरता अत्याचार, सूखा अकाल और तरह तरह की बीमारिया। जहाँ परमेश्वर की आज्ञाऐ मानने से जीवन के हर क्षेत्र में आशीर्वाद ही आशीर्वाद ही मिलते थे आज्ञा ना मानने से शाप ही शाप। आप स्वयं आशीर्वादों और शापो की इस लिस्ट को बाइबिल में पुराने नियम की पुस्तक व्यवस्थाविवरण के २८वे अध्याय में पढ़ सकते हैं । मनुष्य का यह इतिहास दुनिया के बीचो बीच इजराइल नमक देश में घटा जो परमेश्वर के चुने हुए लोग कहे जाते है जिनके द्वारा आरम्भ ही से उसने अपने इतिहास को मनुष्य के साथ जोड़ा। उसने न्यायी ,राजा, नबी और याजको के दुआरा उनको सुरक्षा और सरंक्षण दिया परन्तु उन्होंने किसी ने किसी रूप में परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया। परमेश्वर पाप से घृणा करते है पापी से नहीं। अच्छे और बुरे राजा हुए और उन्होंने अपने आप को शैतान की विचारधारा के आगे आधीन कर दिया । उस समय लोग परमेश्वर के मंदिर में याजक के पास जाकर बकरे, कबूतर, आटे की बलि चढ़ाकर अपने पापो की क्षमा पाते थे ।
आखिर में परमेश्वर ने इजराइल को डेविड या दाऊद नाम का राजा दिया जिसने ४० साल तक राज्य किया और लोगो के जीवन में न्याय के द्वारा स्थिरता लाई। वह एक गड़रिये से राजा बना और उसने अपनी प्रजा की अच्छी तरह से देखभाल की जो आज भी इजराइल में उदाहरण हैं। परन्तु मनुष्य ने निरंतर अपने परमेश्वर को खुद बनाकर , अश्लीलता हिंसा और दुष्ट व्यवहार किया और परमेश्वर अपनी रचना और चुने हुए लोगो के लिए स्वर्ग में रोया। पाप की सजा देते देते वह थक गया और बकरो की बलि, धर्म का झूठा आडम्बर, तरह तरह की मनुष्य की बनायीं परपराएँ और धार्मिक अनुष्ठान उसे प्रसन्न नहीं कर सके। व्यवहार उसके बाद परमेश्वर ने यह देखा कि मनुष्य कभी भी अपने अच्छे कामो और धरम करम से उसे नहीं खुश कर सकता।
आखिर में आज से लगभग दो हज़ार साल पहले उसने अपने बेटे को इस धरती पर आदमी बना कर भेजा जिसने मेरे और आपके पापो को अपने सिर पर लेकर हमें पाप की ताकत से स्वतन्त्र किया, उसने बीमारों को चंगा किया, दुष्ट आत्माओ से ग्रस्त लोगो छुटकारा दिलाया, आश्चर्यकर्म किये और परमेश्वर के राज्य का प्रचार किया। जिस व्यक्ति , समाज, और राष्ट्र ने उसकी शिक्षा का अनुसरण किया वह सुखी , समृद्ध और स्वस्थ्य हो गए। आज पाश्चत्य देशो की संस्कृति प्रभु येशु मसीह की शिक्षाओं और बाइबल के सिद्धांतो पर आधारित हैं ।
येशु मसीह की लोकप्रियता ने उसे उस समय के धार्मिक लोगो ईर्ष्या का कारण बनाया और उन्होंने उसे झूठी युक्तिओं रच कर रोमन साम्राज्य के गवर्नर के द्वारा फांसी पर लटकवा दिया। दोष था की वह अपने को परमेश्वर का पुत्र कहता था जो वह सचमुच में था। उसे कबर में डाला गया और ३ दिन के बाद वह मुर्दा से ज़िंदा हो गया, जिसका अर्थ है उसने मनुष्य के शत्रु मृत्यु पर भी विजय पा ली। लगातार ४० दिन तक वह पृथ्वी पर रहा और अपने चेलों को नज़र आया, उसका स्वर्गारोहण हुआ और आज परमेश्वर पिता के दाहिने हाथ पर बैठ कर शासन करता हैं।
लूसिफर नमक स्वर्गदूत जो परमेश्वर के सिंहासन के सामने संगीत बजाता था और जिसने परम्रेश्वर की सत्ता को हड़पने की कोशिश की येशु मसीह की बलिदान के सामने खड़ा नहीं रह सका। उसने पाप ,बीमारी,दुष्ट आत्माओ,मौत,लूसिफर या शैतान सब पर विजय पायी ! उसके बलिदान के द्वारा हम जीवन में सफल हो सकते है,प्रगति कर सकते हैं और लम्बी उम्र पा सकते हैं, यह बहुत बड़ा रहस्य हैं और जो इस बात को समझ जाते है वह येशु मसीह पर विश्वास के द्वारा विजय का जीवन जीते हैं।
इस शिक्षा को अपने जीवन में कार्यान्वित करने के लिए आगे पेज , “निराशा में आशा ” पर क्लिक करे !