” आश्चर्यकर्मो का परमेश्वर “

परमेश्वर की राह पर चलने से आपके जीवन में भी आश्चर्यकर्म हो सकते हैं

बाइबिल एक ऐसे परमेश्वर के बारे में बताती हैं जो उस पर विश्वास करते हैं उनके लिए वह प्रकृति के नियम भी बदल देता है और उन्हें अद्भुत तरीके से सुरक्षा और सरंक्षण प्रदान करता है। उसने अब्राहम नमक व्यक्ति को चुना और उसे अपने देश छोड़कर दूसरे स्थान पर जाने को कहा। वह अपनी ज़मीन ,जायदाद, रिश्तेदार ,पूजा पाठ छोड़कर वहां गया जहा परमेश्वर ने उससे कहा था। आज्ञाकारिता का परिणाम उसके जीवन में यह आशीर्वाद लाया कि उसे परमेश्वर ने कहा कि उसका वंश सारी दुनिया में तारों के संख्या की तरह फ़ैल जायेगा और पृथ्वी का अधिकारी होगा। यह बात उसकी समझ से बाहर थी क्योकि वह और उसकी पत्नी दोनों वृद्ध थे और संतान होने का सवाल ही नहीं होता। आखिर में परमेश्वर ने उसी की पत्नी को ९० साल की उम्र में बेटा दिया और वह और उसकी संतान आकाश और पृथ्वी के बनाने वाले परमेश्वर की आराधना करने लगे । उसका बेटा इसहाक उसका उत्तराधिकारी हुआ और उसका वंश बढ़ता गया और एक शक्तिशाली समाज बनता गया । इसहाक के बेटे जैकब के १२ पुत्र हुए और उसका एक बेटा जोसफ मिस्त्र में शक्तिशाली राजा का मुख्यमंत्री बना और उसने अकाल की स्थिति अपने ११ भाइयों, पिता और परिवार को बचा लिया। जोसफ की मृत्यु के बाद उसके वंशज मिस्त्र भर में छा गये । उनकी सफलता और व्यक्तित्व ने उन्हें मिस्त्रिओ की ईर्ष्या का शिकार बनाया और वह गुलाम बना लिए गए और उनका उपयोग मिस्र का राजा बिल्डिंग बनाने में क्रूरता और अत्याचार के साथ करने लगा ।

उस समय परमेश्वर ने मोसेस नामक व्यक्ति को खड़ा किया और उसे परमेश्वर ने दर्शन दिए और कहा कि तू यहूदी लोगो को जो अब्राहम के वशंज हैं छुटकारा देने वाला हैं। वह मिस्त्र के राजा के पास गया और उसने उसे अपने लोगो को स्वतत्र करने की फ़रियाद की। परन्तु राजा किसी भी हालत में उन्हें जाने नहीं देना चाहता था। परमेश्वर ने मिस्त्रिओ पर तरह तरह की महामारी भेजी परन्तु उसका दिल कठोर ही रहा और उसने यहूदी को नहीं जाने दिया। आखिर में परमेश्वर ने मिस्र के सबसे बड़े बेटे को मर जाने का शाप दिया और मिस्र के राजा का पहला बेटा भी मर गया ।

इस बात ने मिस्त्र के राजा को हिला दिया और उसने सब यहूदी गुलामो को मोसेस के साथ जाने दिया। यह विश्व के इतिहास में स्वतंत्रता की पहली कहानी है जहाँ ४० लाख से अधिक लोग थे और मोसेस उनका नेता और मार्ग दर्शक बना। मार्ग में उनको सामने लाल समुन्द्र आया और मिस्त्र के राजा ने आमने पहले बेटे के मरने के बाद बदला लेने की आत्मा से उनका पीछा किया। सामने समुंद्र और पीछे सेना देखकर लोग घबडा गए। परन्तु परमेश्वर ने मोसेस को अपनी डंडे को समुन्द्र के सामने उठाने को कहा , जैसे ही उसने यह किया समुन्द्र दो भागो में विभाजित हो गया और सारे के सारे यहूदियों को पार करने के लिए सड़क बन गयी। जब सब के सब पार हो गए तो मिस्त्र का राजा अपनी सेना, घोड़ो और रथो के साथ पीछे पीछे समुन्द्र में घुसा, जैसे ही वह घुसे परमेश्वर ने समुन्द्र को मिला दिया पर सारे के सारे समुन्द्र में डूब गए। आज़ादी के बाद हर नागरिक का और प्रशासक का अपना अपना उतरदायित्व होता है और उसके लिए परमेश्वर ने यहुदीओ को दस आज्ञाएं दी, जो इस प्रकार है !

१ मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ जो तुझे मिस्त्र देश की गुलामी से निकाल कर लाया हूँ, तू केवल मेरी ही आराधना करना। २ तू मनुष्य की बनाई, खोदी हुई वस्तुओ, प्रकृति, पेड़ पौधे की आराधना, पशु पक्षियों की पूजा न करना।
३ तू परमेश्वर का नाम व्यर्थ में न लेना और न ही उसके नाम से कसम खानी । ऐसा करना दंड को लाएगा ।
४. हफ्ते में एक दिन विश्राम करना और उस दिन कोई काम न करना ५. अपने मन बाप का आदर करना।
यह लम्बी उम्र पाने का रहस्य हैं। 6 हत्या ,हिंसा और मर्डर न करना। ७ व्यभिचार, अश्लीलता न करना।
८ किसी भी किसम की चोरी न करना। ९ पडोसी के विरुद्ध झूठी गवाही न देना।
१० किसी भी दूसरे के मकान दुकान. सामान या नौकर चाकर, बहु बेटी आदि का लालच मत करना।
जिन जिन व्यक्तिओ, समाजो और राष्ट्रों ने इन दस आज्ञाओं को अपने जीवन में कार्यान्वित किया है वहां सुख,समृद्धि शांति , स्वास्थय और सफाई होती है ! कहानी को आगे पढ़ने के लिए, ” निराशा में आशा ” नमक बटन को क्लीक करे